Saturday, April 14, 2012


  सियानी गोठ   
                        
जनकवि कोदूराम"दलित"
छत्तीसगढ़ के जनकवि स्व.कोदूराम”दलित” के जीवन काल में प्रकाशित पुस्तक “सियानी गोठ” में छिहत्तर कुण्डलिया संग्रहित हैं.यह पुस्तक 12 मई 1967 में प्रकाशित हुई थी. छत्तीसगढ़ी में सियान का अर्थ होता है बड़े बुजुर्ग या ज्ञानी  और गोठ का अर्थ है बात या सीख.  “सियानी गोठ” की कुण्डलिया हर युग में प्रासंगिक  रहेंगी. जन-हित खातिर प्रकाशित “सियानी गोठ” की कुण्डलिया का प्रकाशन एक श्रृंखलाकेरूपमें प्रारम्भ किया जा रहा है. आशा है आप अवश्य ही पसंद करेंगे
   अरुण कुमार निगम
मोर परिचय
लइका पढ़ई के सुघर, करत हववँ मैं काम
कोदूराम दलितहवय, मोर गँवइहा नाम
मोर  गँवइहा नाम, भुलाहू झन गा भइया !
जन-हित खातिर गढ़े हववँ मैं ये कुण्डलिया
शँउक मु हूँ-ला घलो हवय कविता गढ़ई के
करथवँ काम दुरुग –मां मैं लइका पढ़ई के.

पुस्तक के मुख पृष्ठ पर प्रकाशित कवि का परिचय
मेरा परिचय – मैं बच्चों को पढ़ाने का सुंदर काम करता हूँ. मेरा नाम कोदूराम दलित’(ग्रामीण परिवेश का नाम) है, इस नाम को भाइयों भुला नहीं देना.जन हित खातिर मैंने ये कुण्डलिया गढ़ी हैं, मुझे भी कविता गढ़ने का शौक है, मैं दुर्ग शहर में बच्चों को पढ़ाने का कार्य करता हूँ

सुमिरन
सुमिरन करिहौं नाम ला, सदा तोर भगवान
मनखे चोला रतन-जस, देये हस तैं दान
देये हस तैं दान, करे हस किरपा भारी
तहीं आस गुरु, बंधु, मितान ,बाप ,महतारी
करिहौं सदा सुकरम, दुस्करम ला मैं डरिहौं
देबे मोला तार, तोर नित सुमिरन करिहौं.
{ स्मरण -हे भगवान ! मैं सदा तुम्हारे नाम का स्मरण करूंगा, तुमने रत्न जैसा कीमती मानव शरीर दान में देकर मुझ पर अपार कृपा की है. तुम ही मेरे गुरु, भाई, मित्र तथा माता पिता हो. मैं दुष्कर्मों से बचकर सदा सुकर्म करूंगा. मुझे तार देना ( मुक्ति देना ), नित्य तुम्हारा स्मरण करूंगा.}

4 comments:

  1. अच्छा परिचय अच्छी प्रार्थना ।
    आपका एक और बढ़िया कार्य ।
    आदरणीय पिता श्री की सुन्दर कुंडलियाँ मिलेंगी यहाँ
    हम सभी को ।।

    आभार --

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  2. सियानी गोठ से हम सभी कुछ अच्छी बातें जानेगे और सीखेंगे.

    बेहतरीन सयोजन.

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  3. सुग्घर शृंखला के सुरूवात अरुण भईया.......
    बधई।

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