Tuesday, January 15, 2013

सियानी गोठ

सियानी गोठ  
 


जनकवि स्व.कोदूराम “दलित

30 - सिंह

करता वन में  सिंह तू  निरभय  रह कर  राज
सुन   दहाड़  तेरी  डरें  ,  गेण्डे   गजराज
गेण्डे   गजराज   ,  सभी   पशु   थर्राते  हैं
बचते    नहीं   पकड़   में   जो   तेरी   आते   हैं
नहीं तनिक भी मन में कभी किसी से डरता
वन  में  तू   वनराज  बेधड़क  विचरा  करता.

Monday, January 14, 2013

सियानी गोठ

सियानी गोठ



जनकवि स्व.कोदूराम “दलित

29 - कुकुर

रखवारी  घर के करय , जउन मिलय सो खाय
लुडुर - लुडुर मालिक करा ,  पूँछी कुकुर हलाय
पूँछी कुकुर हलाय, चिन्हय घर के सब झन-ला
भूँक - भूँक  के  भगा  देय  वो  चोर  मनन –ला
कुकुर  आय   पर   करय   नहीं  कभ्भू  गद्दारी
बइठ    मुहाटी - मां  करथय   घर  के  रखवारी. 

[ कुत्ता – घर की रखवाली करता है, जो मिल जाता है खा लेता है. कुत्ता अपने मालिक के पास लुडुर-लुडुर ( आंचलिक शब्द )पूँछ हिलाता है.घर के सब लोगों को पहचानता है और चोरों को भौंक-भौंक कर भगा देता है. कुत्ता है किंतु कभी गद्दारी नहीं करता.घर के प्रवेश द्वार पर बैठ कर घर की रखवाली करता है.]

सियानी गोठ

सियानी गोठ 

 
जनकवि स्व.कोदूराम “दलित

28 - कायर

सुनय  बिगुल  – ला युद्ध के, खटिया तरी लुकाय
गुर्रावय   जे    घरे    मां   ,   कायर  उही   कहाय
कायर  उही  कहाय  ,  कोल्हिया   कहूँ  कुदावय
हँफरत - हँफरत  लगे – हाँत   घर  भागत  आवय
यही किसम डर डर के करय कलंकित कुल-ला
खटिया  तरी  लुकाय  जुद्ध के  सुनय बिगुल-ला.

[ युद्ध का बिगुल सुन कर खाट के नीचे छुप जाता है, जो घर में ही गुर्राता है, वही कायर कहलाता है. उसे यदि सियार भी दौड़ाए तो हाँफते –हाँफते भागता हुआ घर आ जाता है. इस तरह वह डर – डर कर कुल को कलंकित करता है ]

संदेश :- वीर बनो , देश की रक्षा करो. कायर बन कर जीने से कुल कलंकित होता है.