tag:blogger.com,1999:blog-3356817270168152063.post4756153927516208951..comments2024-01-06T14:37:56.047+05:30Comments on श्रीमती सपना निगम (हिंदी ): मेरा बचपन ऐसे बीता,,,,,,,,,,,(भाग-4)अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)http://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-3356817270168152063.post-32191994337425000412011-05-28T21:29:06.207+05:302011-05-28T21:29:06.207+05:30those senseless and worry less days are immortal m...those senseless and worry less days are immortal memoirs of our lives...<br />Whenever you look back to them, there will always be a smile on your face.Jyoti Mishrahttps://www.blogger.com/profile/01794675170127168298noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3356817270168152063.post-64175244726710949482011-05-27T07:56:16.424+05:302011-05-27T07:56:16.424+05:30बाल्यकाल की स्मृतियों को ताज़ा करवाया आपने|धन्यवाद...बाल्यकाल की स्मृतियों को ताज़ा करवाया आपने|धन्यवाद|Patali-The-Villagehttps://www.blogger.com/profile/08855726404095683355noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3356817270168152063.post-90534932536714742982011-05-26T23:50:16.903+05:302011-05-26T23:50:16.903+05:30कटमट-राइट ,नदी-पहाड़ ,फिकी-फिकी व्हाट कलर, रेस-टीप...कटमट-राइट ,नदी-पहाड़ ,फिकी-फिकी व्हाट कलर, रेस-टीप ,पिट्टूल , डंडा-पचरंगा, तिरि-पासा ,बिल्लस ,रस्सी ,फुगड़ी ,गोटा आदि.<br /><br />देसी खेलों की तो बात ही न्यारी है........ आज के दौर के बच्चे बहुत कुछ मिस कर रहे हैं शहरीकरण के चलते..... सुंदर विवरण डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3356817270168152063.post-87390549564818148712011-05-26T21:57:31.349+05:302011-05-26T21:57:31.349+05:30बचपन के दिन भी क्या दिन थेबचपन के दिन भी क्या दिन थेBrijmohanShrivastavahttps://www.blogger.com/profile/04869873931974295648noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3356817270168152063.post-82282964831809948152011-05-26T14:03:26.855+05:302011-05-26T14:03:26.855+05:30सुन्दर, रोचक संस्मरण....जारी हूँ आपके साथ साथ... ...सुन्दर, रोचक संस्मरण....जारी हूँ आपके साथ साथ... कुछ नया भी सीख रही हूँ , जो पहले नहीं सुना था।ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3356817270168152063.post-4654864602061619332011-05-26T13:13:35.092+05:302011-05-26T13:13:35.092+05:30बाल्यकाल की स्मृतियों को ताज़ा करवाया आपने..आभार.....बाल्यकाल की स्मृतियों को ताज़ा करवाया आपने..आभार....संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3356817270168152063.post-41700283633018119782011-05-26T06:45:13.969+05:302011-05-26T06:45:13.969+05:30देशी खेलों में बिना खर्चे पूरा आनन्द आता है।देशी खेलों में बिना खर्चे पूरा आनन्द आता है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3356817270168152063.post-53029980628563165432011-05-25T23:54:08.988+05:302011-05-25T23:54:08.988+05:30पढते हुए ऐसा लग रहा है कि बचपन में लौट गए हों ......पढते हुए ऐसा लग रहा है कि बचपन में लौट गए हों ... वही सारे खेल और वैसी ही शिक्षा ...आनंद आ रहा है आपकी दास्ताँ मेंसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3356817270168152063.post-80588235399941018042011-05-25T22:16:14.663+05:302011-05-25T22:16:14.663+05:30वशिष्ठ जी नमस्कार इस श्रृंखला में स्मृतियाँ लिख क...वशिष्ठ जी नमस्कार इस श्रृंखला में स्मृतियाँ लिख कर नई पीढ़ी को ज्ञान देना चाह रहा हूँ कि उनके अभिभावक कैसे खेला करते थे.साथ ही जीवन की आपधापी में उलझे अपने हमउम्र साथियों को बचपन की यादों में ले जा कर कुछ पल तनाव मुक्त करना चाहता हूँ.ये यादें लगभग पचास वर्ष पुरानी हैं.कुछ मेमोरी से डिलीट हो रही हैं.उसे संचित करने का प्रयास है.मेरी यादों के साथ आप भी अपने बचपन में पहुँच गए.मन में कुछ तो गुदगुदी उठी होगी.बस मेरा उद्देश्य पूरा हुआ .अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)https://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3356817270168152063.post-7338599450516669302011-05-25T21:37:03.105+05:302011-05-25T21:37:03.105+05:30नदी और पहाड़ वाले खेल की तरह ही हमारे क्षेत्र में ...नदी और पहाड़ वाले खेल की तरह ही हमारे क्षेत्र में इसे 'ऊँच-नीच का पापडा' नामक खेल कहा जाता था. <br />अब भी कुछ बच्चे ये खेल खेलते मिल जाते हैं तो बहुत खुशी होती है.... जब ये खेल शुरू किया जाता है तब एक गीति शैली में एक पंक्ति बोली जाती है "ऊँच-नीच का पापडा, ऊँच माँगी.... नी...च"<br />वैसे इन खेलों से पारस्परिक जुड़ाव हो जाता था... लेकिन अब तो समय काफी बदल गया है... अधिकांश बच्चे मोबाइल और कम्प्यूटर से खेलते दिखते हैं.. पार्कों में भी क्रिकेट या बेड-मिन्टन जैसे ही खेल खेलते मिलते हैं. .... देसी खेल तो बहुत कम ही खेले जाते हैं...अब केवल उनकी स्मृतियों से खेल पाते हैं...आपने बाल्यकाल की स्मृतियों को ताज़ा करवाया..आभार.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.com