tag:blogger.com,1999:blog-3356817270168152063.post6629078092509500429..comments2024-01-06T14:37:56.047+05:30Comments on श्रीमती सपना निगम (हिंदी ): ''दो शब्द''अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)http://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-3356817270168152063.post-45970768176712882962011-04-24T18:28:46.900+05:302011-04-24T18:28:46.900+05:30अरुण जी,
चिन्तनशील लघुकथा है बधाई
"क्या भ्र...अरुण जी,<br />चिन्तनशील लघुकथा है बधाई<br /> "क्या भ्रम के पीछे भागूँ ? वह छल है - फिर भी मेरी प्रेरणा है. उस प्रेरणा के अभाव में गति गीत नहीं बन सकती. उस टूटन की पीड़ा के बिना जीवन में माधुर्य नहीं"<br />- विजय तिवारी ’किसलय’विजय तिवारी " किसलय "https://www.blogger.com/profile/14892334297524350346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3356817270168152063.post-36824877334843383202011-04-23T23:58:15.920+05:302011-04-23T23:58:15.920+05:30कहानी को जिस सोच और विचार को सामने रख कर लिखी गई ह...कहानी को जिस सोच और विचार को सामने रख कर लिखी गई है |राजा भरथरी प्रसंग में हिरन हिरनी प्रसंग है|यहाँ क्षितिज और कल्पना के बीच गहराई में छुपे प्रसंग जो आद्यात्मिकता से जुडी बातों को इंगित कर रहे हैं|कल्पना के प्यासी हिरनी से बात मृग त्रिशना.वीतरागिता मेरे द्वारा समझ पाना कठिन है|क्षितिज को कल्पना के द्वारा पार पाना|निगम जी इतनी गहराई एक सूफी सन्यासी हि समझ सकता है खैर.....!बहुत ऊँची हैUMA SHANKER MISHRAhttps://www.blogger.com/profile/06099647965326076377noreply@blogger.com