सियानी गोठ

जनकवि स्व. कोदूराम “दलित”
22..वीर सिपाही
वीर सिपाही फउज के, तुम सब झिन बन जाव
बइरी मन आ जायँ तो , तुरते मार भगाव
तुरते मार भगाव , खूब गरजो - ललकारो
आयँ सपड़ –मां उन्हला , पटक-पटक के मारो
विजय तुम्हर होही तुम्हला सब झिन सँहराहीं
नाम कमाओ , बनो फउज के वीर
सिपाही.
[तुम सब फौज के वीर
सिपाही बन जाओ.यदि दुश्मन आ जायें तो उन्हें तुरंत मार-भगाओ.खूब गरजो और ललकारो.यदि
पकड़ में आ जायें तो उन्हें मार डालो.तुम्हारी विजय होगी, तुम्हें सभी
सहरायेंगे.फौज के वीर सिपाही बनकर नाम कमाओ.]