Sunday, August 12, 2012

सियानी गोठ


सियानी गोठ 
जनकवि कोदूराम “दलित”

15. बम

बौराइन बमबाज मन  ,  बम  ला करयँ तयार
बमबाजी कर निठुर मन ,  करथयँ नर-संहार
करथयँ नर-संहार, गिरायथयँ बम प्रयलंकर
बम –ला नष्ट करो -  हे बमलाई ! बम शंकर !!
बम –मां हवा, बिगाड़िन, विकट रोग फैलाइन
चौपट  करे  लगिन , बमबाज मनन बौराइन.

[ बमबाज लोग बौरा कर बम बम का निर्माण करते हैं. ये निष्ठुर लोग बमबाजी करके नर-संहार करते हैं. प्रलयंकारी बम गिराते हैं. हे बमलेश्वरी माँ ! हे बम शंकर ! बम को नष्ट कीजिये. बमबाजों  ने हवा को प्रदूषित किया है, कई असाध्य रोग फैलाये हैं और सब कुछ चौपट कर डाला है .]

2 comments:

  1. वाह बहुत बढ़िया ...बहुत बहुत बधाई

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  2. अच्छी प्रस्तुति .... बम बनाने वाले कहाँ यह सब पढ़ते हैं ।

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