सियानी गोठ

जनकवि स्व.कोदूराम “दलित”
27 – पेड़
भाई , अब सब ठउर
–मां, अइसन पेड़
लगाव
खाये खातिर फल मिलय, सुस्ताये बर छाँव
सुस्ताये बर छाँव , मिलय लकड़ी बारय बर
मिल जावय लौड़ी , दुष्टन - ला खेदारे बर
ठण्डी , शुद्ध , सुगंधित हवा मिलय सुखदाई
सबो ठउर – मां अइसन पेड़
लगावव भाई.
[ पेड़ – भाई , अब सभी स्थानों में ऐसे
पेड़ लगायें जिनसे खाने के लिए फल तथा विश्राम करने के लिये छाँव मिले . जलाने के लिए लकड़ी तथा दुश्मनों को भगाने के लिए लाठी भी मिल जाये .ठण्डी, शुद्ध, सुगंधित और सुखदायी हवा
मिले. ]