गोल गोल रानी , इत्ता इत्ता पानी
कविता ये सुहानी , बचपन की निशानी
गा गा के सुनाती थी सबकी दादी नानी
गोल गोल रानी , इत्ता इत्ता पानी
मोती मानस चून के वास्ते हो पानी
किसने सुनी नहीं रहिमन की जुबानी
सोचें , क्या ये सिर्फ है कविता पुरानी
गोल गोल रानी , इत्ता इत्ता पानी.
थोड़ी सी नादानी , लायेगी वीरानी
आयेगी कहाँ से फिर मौजों की रवानी
कहीं मिट जाये नहीं,जीवन की निशानी
गोल गोल रानी , इत्ता इता पानी.
विश्व जल दिवस पर मन में है ठानी
जल संरक्षण करेंगे, पीयेंगे शुद्ध पानी
कारण तलाशें कैसे गोल हुआ पानी
गोल गोल रानी , इत्ता इता पानी.
श्रीमती सपना निगम
आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)