सियानी गोठ
जनकवि कोदूराम “दलित”
15. बम
बौराइन बमबाज मन ,
बम ला करयँ तयार
बमबाजी कर निठुर मन , करथयँ नर-संहार
करथयँ नर-संहार, गिरायथयँ
बम प्रयलंकर
बम –ला नष्ट करो - हे बमलाई ! बम शंकर
!!
बम –मां हवा, बिगाड़िन, विकट रोग फैलाइन
चौपट करे लगिन , बमबाज मनन बौराइन.
[ बमबाज लोग बौरा कर
बम बम का निर्माण करते हैं. ये निष्ठुर लोग बमबाजी करके नर-संहार करते हैं.
प्रलयंकारी बम गिराते हैं. हे बमलेश्वरी माँ ! हे बम शंकर ! बम को नष्ट कीजिये. बमबाजों ने हवा को प्रदूषित किया है, कई असाध्य रोग फैलाये
हैं और सब कुछ चौपट कर डाला है .]
वाह बहुत बढ़िया ...बहुत बहुत बधाई
ReplyDeleteअच्छी प्रस्तुति .... बम बनाने वाले कहाँ यह सब पढ़ते हैं ।
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