दीप-पर्व पर आओ मिल-जुल
लक्ष्मी स्तुति-गान करें
लें संकल्प हृदय से, आगत
लक्ष्मी का सम्मान करें.
द्वार रंगोली नहीं सजी तो
कैसे लक्ष्मी भीतर आये
पूजा की थाली ले कर में
आरती-वंदन कौन सुनाये.
नन्हीं पायल की छमछम बिन
आंगन भी किस मन हरषाये
बिना फुलझरी - दीपशिखा के
दीवाली किस मन को भाये.
क्या अपने ही हाथों अपनी
खुशियों को बेजान करें
लें संकल्प हृदय से, आगत
लक्ष्मी का सम्मान करें.
धन तेरस पर किसकी खातिर
स्वर्ण-चूड़ियाँ, झुमका- बाला
किसकी खातिर स्वर्ण-हार और
किसकी खातिर गजरा, माला.
लक्ष्मी-पूजन में गृह लक्ष्मी
यदि वाम नहीं आसन्न हो
बिटिया की चूड़ी ना खनके
महालक्ष्मी कैसे प्रसन्न हो.
बिन बिटिया के दीप-पर्व पर
क्या घर को वीरान करें
लें संकल्प हृदय से, आगत
लक्ष्मी का सम्मान करें.
रचनाकार - अरुण कुमार निगम
रचनाकार - अरुण कुमार निगम
दीपावली पर्व की हार्दिक शुभकामनाओं सहित....
प्रस्तुतकर्ता -
प्रस्तुतकर्ता -
श्रीमती सपना निगम
आदित्य नगर, दुर्ग
छत्तीसगढ़.
सार्थक अह्वान।
ReplyDeleteकल के चर्चा मंच पर, लिंको की है धूम।
ReplyDeleteअपने चिट्ठे के लिए, उपवन में लो घूम।।
.बहुत सुंदर ...बेटियां लक्ष्मी ही होती हैं......
ReplyDeleteबहुत सुन्दर गीत ... बेटियों के बिना कहाँ रौनक होती है किसी भी त्यौहार की
ReplyDeleteदीपावली की हार्दिक शुभकामनायें
पञ्च दिवसीय दीपोत्सव पर आप को हार्दिक शुभकामनाएं ! ईश्वर आपको और आपके कुटुंब को संपन्न व स्वस्थ रखें !
ReplyDelete***************************************************
"आइये प्रदुषण मुक्त दिवाली मनाएं, पटाखे ना चलायें"
बहुत सुन्दर.... सार्थक अह्वान.... वाह!
ReplyDeleteआपको दीप पर्व की सपरिवार सादर बधाईयां....
बहुत सुन्दर...दीपावली की ढेरों शुभकामनाएं.
ReplyDeleteद्वार रंगोली नहीं सजी तो
ReplyDeleteकैसे लक्ष्मी भीतर आये
पूजा की थाली ले कर में
आरती-वंदन कौन सुनाये....
Great creation Sapna ji !
.
बेटियां लक्ष्मी ही होती हैं....बहुत सुन्दर...
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