Thursday, March 22, 2012

विश्व जल दिवस पर....




गोल गोल रानी   ,  इत्ता इत्ता पानी
कविता ये सुहानी , बचपन की निशानी
गा गा के सुनाती थी सबकी दादी नानी
गोल गोल रानी   ,  इत्ता इत्ता पानी

मोती मानस चून के   वास्ते हो पानी
किसने सुनी नहीं  रहिमन की जुबानी
सोचें , क्या ये सिर्फ है कविता पुरानी
गोल गोल रानी  ,  इत्ता इत्ता पानी.

थोड़ी सी नादानी   ,  लायेगी वीरानी
आयेगी कहाँ से फिर मौजों की रवानी
कहीं मिट जाये नहीं,जीवन की निशानी
गोल गोल रानी  ,  इत्ता इता पानी.

विश्व जल दिवस पर मन में है ठानी
जल संरक्षण करेंगे, पीयेंगे शुद्ध पानी
कारण  तलाशें कैसे  गोल हुआ पानी
गोल गोल रानी  ,  इत्ता इता पानी.

श्रीमती सपना निगम
आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)

17 comments:

  1. प्रस्तुती मस्त |
    चर्चामंच है व्यस्त |
    आप अभ्यस्त ||

    आइये
    शुक्रवारीय चर्चा-मंच
    charchamanch.blogspot.com

    ReplyDelete
  2. पानी की महत्ता को कहती अच्छी रचना ... बचपन की याद दिला दी इस रचना ने ...

    ReplyDelete
  3. गोल गोल रानी , इत्ता इत्ता पानी
    कविता ये सुहानी , बचपन की निशानी
    गा गा के सुनाती थी सबकी दादी नानी
    गोल गोल रानी , इत्ता इत्ता पानी
    बहुत प्यारा

    ReplyDelete
  4. बढ़िया रचना प्रस्तुत की है आपने!

    ReplyDelete
  5. सुंदर कविता ....हम सब जल बचाना सीखें .....

    ReplyDelete
  6. .


    बहुत सुंदर गीत लिखा है आपने.
    बधाई !

    ReplyDelete
  7. थोड़ी सी नादानी , लायेगी वीरानी
    आयेगी कहाँ से फिर मौजों की रवानी
    कहीं मिट जाये नहीं,जीवन की निशानी
    गोल गोल रानी , इत्ता इता पानी.

    ReplyDelete
  8. मय आपके सभी चिठ्ठाकारों को बधाई और शुभकामनाएं . नवसंवत्सर की .

    जहां ज़ल है वहीँ जीवन की संभावना है .शरीर का बहुलांश भी जल ही है .जीवन तत्व जल की महिमा रहीम ने तभी समझ ली थी जब सृष्टि में जल की किल्लत नहीं थी -

    रहिमन पानी राखिये ,बिन पानी सब सून ,

    पानी गए न ऊबरे ,मोती मानुस चुन .

    यह दुर्भाग्य पूर्ण है आज हम उसी जल की तात्विकता नष्ट कर बैठे हैं .हमारे सभी जल स्रोत गंधाने लगें हैं
    बढ़िया साहित्य रचके आपने पर्यावरण की हिमायत की है जो एक ज़िंदा शख्शियत है भौतिक अवधारणा मात्र नहीं है हमारा पर्यावरण हमारी अपनी प्रकृति ही है . डेढ़ अरब लोग आज दिन प्यासे हैं .पेय जल से वंचित है .आगे क्या होगा .बूँद बूँद सो भरे सरोवर .

    ReplyDelete
  9. सार्थक पोस्ट ..!
    नवसंवत्सर की हार्दिक शुभकामनाएँ|

    ReplyDelete
  10. अनुपम भाव लिए उत्‍कृष्‍ट लेखन ।

    ReplyDelete
  11. सार्थक पोस्ट ..!

    ||जल संवर्धन के लिए, सब ही लें संकल्प
    वरना जीवन भूमि पर, बाकी है अत्यल्प||

    सादर।

    ReplyDelete
  12. जल न होता तो जल जाता जीवन। जल बचाना आवश्यक है। सार्थक रचना

    ReplyDelete
  13. jal hi jeevan hai .....jal sanrakshan hona chahiye ....achhi rachana ke liye abhar

    ReplyDelete