गोल गोल रानी , इत्ता इत्ता पानी
कविता ये सुहानी , बचपन की निशानी
गा गा के सुनाती थी सबकी दादी नानी
गोल गोल रानी , इत्ता इत्ता पानी
मोती मानस चून के वास्ते हो पानी
किसने सुनी नहीं रहिमन की जुबानी
सोचें , क्या ये सिर्फ है कविता पुरानी
गोल गोल रानी , इत्ता इत्ता पानी.
थोड़ी सी नादानी , लायेगी वीरानी
आयेगी कहाँ से फिर मौजों की रवानी
कहीं मिट जाये नहीं,जीवन की निशानी
गोल गोल रानी , इत्ता इता पानी.
विश्व जल दिवस पर मन में है ठानी
जल संरक्षण करेंगे, पीयेंगे शुद्ध पानी
कारण तलाशें कैसे गोल हुआ पानी
गोल गोल रानी , इत्ता इता पानी.
श्रीमती सपना निगम
आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)
bahot achche.....samyik bhi.....
ReplyDeleteप्रस्तुती मस्त |
ReplyDeleteचर्चामंच है व्यस्त |
आप अभ्यस्त ||
आइये
शुक्रवारीय चर्चा-मंच
charchamanch.blogspot.com
पानी की महत्ता को कहती अच्छी रचना ... बचपन की याद दिला दी इस रचना ने ...
ReplyDeleteपानी एक कहानी
ReplyDeleteगोल गोल रानी , इत्ता इत्ता पानी
ReplyDeleteकविता ये सुहानी , बचपन की निशानी
गा गा के सुनाती थी सबकी दादी नानी
गोल गोल रानी , इत्ता इत्ता पानी
बहुत प्यारा
बढ़िया रचना प्रस्तुत की है आपने!
ReplyDeleteसुंदर कविता ....हम सब जल बचाना सीखें .....
ReplyDelete.
ReplyDelete♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
नव संवत् का रवि नवल, दे स्नेहिल संस्पर्श !
पल प्रतिपल हो हर्षमय, पथ पथ पर उत्कर्ष !!
-राजेन्द्र स्वर्णकार
♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
*चैत्र नवरात्रि और नव संवत २०६९ की हार्दिक बधाई !*
*शुभकामनाएं !*
*मंगलकामनाएं !*
.
ReplyDeleteबहुत सुंदर गीत लिखा है आपने.
बधाई !
थोड़ी सी नादानी , लायेगी वीरानी
ReplyDeleteआयेगी कहाँ से फिर मौजों की रवानी
कहीं मिट जाये नहीं,जीवन की निशानी
गोल गोल रानी , इत्ता इता पानी.
मय आपके सभी चिठ्ठाकारों को बधाई और शुभकामनाएं . नवसंवत्सर की .
ReplyDeleteजहां ज़ल है वहीँ जीवन की संभावना है .शरीर का बहुलांश भी जल ही है .जीवन तत्व जल की महिमा रहीम ने तभी समझ ली थी जब सृष्टि में जल की किल्लत नहीं थी -
रहिमन पानी राखिये ,बिन पानी सब सून ,
पानी गए न ऊबरे ,मोती मानुस चुन .
यह दुर्भाग्य पूर्ण है आज हम उसी जल की तात्विकता नष्ट कर बैठे हैं .हमारे सभी जल स्रोत गंधाने लगें हैं
बढ़िया साहित्य रचके आपने पर्यावरण की हिमायत की है जो एक ज़िंदा शख्शियत है भौतिक अवधारणा मात्र नहीं है हमारा पर्यावरण हमारी अपनी प्रकृति ही है . डेढ़ अरब लोग आज दिन प्यासे हैं .पेय जल से वंचित है .आगे क्या होगा .बूँद बूँद सो भरे सरोवर .
सार्थक पोस्ट ..!
ReplyDeleteनवसंवत्सर की हार्दिक शुभकामनाएँ|
अनुपम भाव लिए उत्कृष्ट लेखन ।
ReplyDeleteसार्थक पोस्ट ..!
ReplyDelete||जल संवर्धन के लिए, सब ही लें संकल्प
वरना जीवन भूमि पर, बाकी है अत्यल्प||
सादर।
जल न होता तो जल जाता जीवन। जल बचाना आवश्यक है। सार्थक रचना
ReplyDeletejal hi jeevan hai .....jal sanrakshan hona chahiye ....achhi rachana ke liye abhar
ReplyDeleteachhi kavita hai.jal hi jivan hai.
ReplyDelete