5 मार्च २०१२ को जनकवि स्व.कोदूराम दलित की १०२ वीं जयंती है. इस अवसर पर उनकी कुण्डलिया .......
(1) नाम
रह जाना है नाम ही, इस दुनिया में यार
अत: सभी का कर भला, है इसमे ही सार
है इसमें ही सार, यार, तू तज के स्वारथ
अमर रहेगा नाम, किया कर नित परमारथ
काया रूपी महल, एक दिन ढह जाना है
किन्तु सुनाम सदा दुनिया में रह जाना है.
(२) छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ पैदा करय, अड़बड़ चांउर दार
हवयं लोग मन इहाँ के, सिधवा अउर उदार
सिधवा अउर उदार हवयं, दिन रात कमावयं
दे दूसर ला भात, अपन मन बासी खावयं
ठगथयं ये बपुरा मन ला बंचक मन अड़बड़
पिछड़े हवय अतेक , इही कारन छत्तीसगढ़.
जनकवि स्व.कोदूराम दलित जी को नमन!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया प्रस्तुति!
होली की शुभकामनाएँ!
काम हमारा नाम रखेंगे..
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