Monday, January 14, 2013

सियानी गोठ

सियानी गोठ 

 
जनकवि स्व.कोदूराम “दलित

28 - कायर

सुनय  बिगुल  – ला युद्ध के, खटिया तरी लुकाय
गुर्रावय   जे    घरे    मां   ,   कायर  उही   कहाय
कायर  उही  कहाय  ,  कोल्हिया   कहूँ  कुदावय
हँफरत - हँफरत  लगे – हाँत   घर  भागत  आवय
यही किसम डर डर के करय कलंकित कुल-ला
खटिया  तरी  लुकाय  जुद्ध के  सुनय बिगुल-ला.

[ युद्ध का बिगुल सुन कर खाट के नीचे छुप जाता है, जो घर में ही गुर्राता है, वही कायर कहलाता है. उसे यदि सियार भी दौड़ाए तो हाँफते –हाँफते भागता हुआ घर आ जाता है. इस तरह वह डर – डर कर कुल को कलंकित करता है ]

संदेश :- वीर बनो , देश की रक्षा करो. कायर बन कर जीने से कुल कलंकित होता है.

11 comments:

  1. महा मकर संक्राति से, बाढ़े रविकर ताप ।
    सज्जन हित शुभकामना, दुर्जन रस्ता नाप ।

    दुर्जन रस्ता नाप, देश में अमन चमन हो ।
    गुरु चरणों में नमन, पाप का देवि ! दमन हो ।

    मंगल मंगल तेज, उबारे देश भ्रान्ति से ।
    गौरव रखे सहेज, महामकर संक्रांति से ।।

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  2. सुंदर प्रस्तुति .... मकर संक्रांति की शुभकामनायें

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  3. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार 15/1/13 को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहां हार्दिक स्वागत है

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  4. सुन्दर प्रस्तुति!
    --
    मकरसंक्रान्ति की हार्दिक शुभकामनाएँ!

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  5. सामयिक संदर्भ लिये पंक्तियाँ..

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  6. सुन्दर सन्देश,सुन्दर प्रस्तुति !
    New post: कुछ पता नहीं !!!
    New post : दो शहीद

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  7. बढ़िया रूपकात्मक अभिवयक्ति अनुभव प्रणीत निसर्ग तय निसृत .

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  8. बढ़िया रूपकात्मक अभिवयक्ति अनुभव प्रणीत निसर्ग तय निसृत .

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  9. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    --
    मकरसंक्रान्ति की हार्दिक शुभकामनाएँ!

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  10. Monday, January 14, 2013
    सियानी गोठ
    सियानी गोठ


    जनकवि स्व.कोदूराम “दलित”

    28 - कायर

    सुनय बिगुल – ला युद्ध के, खटिया तरी लुकाय
    गुर्रावय जे घरे – मां , कायर उही कहाय
    कायर उही कहाय , कोल्हिया कहूँ कुदावय
    हँफरत - हँफरत लगे – हाँत घर भागत आवय
    यही किसम डर डर के करय कलंकित कुल-ला
    खटिया तरी लुकाय जुद्ध के सुनय बिगुल-ला.

    [ युद्ध का बिगुल सुन कर खाट के नीचे छुप जाता है, जो घर में ही गुर्राता है, वही कायर कहलाता है. उसे यदि सियार भी दौड़ाए तो हाँफते –हाँफते भागता हुआ घर आ जाता है. इस तरह वह डर – डर कर कुल को कलंकित करता है ]

    संदेश :- वीर बनो , देश की रक्षा करो. कायर बन कर जीने से कुल कलंकित होता है.
    Posted by अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) at 8:34 AM

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  11. बहुत बढ़ि‍या संदेश..

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