सियानी गोठ
जनकवि स्व.कोदूराम “दलित”
30 - सिंह
करता वन में सिंह तू निरभय रह
कर राज
सुन दहाड़ तेरी डरें , गेण्डे औ’ गजराज
गेण्डे औ’ गजराज , सभी पशु थर्राते हैं
बचते नहीं पकड़ में
जो तेरी आते हैं
नहीं तनिक भी मन में कभी किसी से डरता
वन में तू वनराज
बेधड़क विचरा करता.
स्वयमेव मृगेन्द्रता..
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति,आभार है आपका.
ReplyDeleteउम्दा प्रस्तुति
ReplyDeleteवाह
आपके विचार की प्रतीक्षा में
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कहाँ खड़ा है आज का मजदूर------?