Monday, January 14, 2013

सियानी गोठ

सियानी गोठ



जनकवि स्व.कोदूराम “दलित

29 - कुकुर

रखवारी  घर के करय , जउन मिलय सो खाय
लुडुर - लुडुर मालिक करा ,  पूँछी कुकुर हलाय
पूँछी कुकुर हलाय, चिन्हय घर के सब झन-ला
भूँक - भूँक  के  भगा  देय  वो  चोर  मनन –ला
कुकुर  आय   पर   करय   नहीं  कभ्भू  गद्दारी
बइठ    मुहाटी - मां  करथय   घर  के  रखवारी. 

[ कुत्ता – घर की रखवाली करता है, जो मिल जाता है खा लेता है. कुत्ता अपने मालिक के पास लुडुर-लुडुर ( आंचलिक शब्द )पूँछ हिलाता है.घर के सब लोगों को पहचानता है और चोरों को भौंक-भौंक कर भगा देता है. कुत्ता है किंतु कभी गद्दारी नहीं करता.घर के प्रवेश द्वार पर बैठ कर घर की रखवाली करता है.]

सियानी गोठ

सियानी गोठ 

 
जनकवि स्व.कोदूराम “दलित

28 - कायर

सुनय  बिगुल  – ला युद्ध के, खटिया तरी लुकाय
गुर्रावय   जे    घरे    मां   ,   कायर  उही   कहाय
कायर  उही  कहाय  ,  कोल्हिया   कहूँ  कुदावय
हँफरत - हँफरत  लगे – हाँत   घर  भागत  आवय
यही किसम डर डर के करय कलंकित कुल-ला
खटिया  तरी  लुकाय  जुद्ध के  सुनय बिगुल-ला.

[ युद्ध का बिगुल सुन कर खाट के नीचे छुप जाता है, जो घर में ही गुर्राता है, वही कायर कहलाता है. उसे यदि सियार भी दौड़ाए तो हाँफते –हाँफते भागता हुआ घर आ जाता है. इस तरह वह डर – डर कर कुल को कलंकित करता है ]

संदेश :- वीर बनो , देश की रक्षा करो. कायर बन कर जीने से कुल कलंकित होता है.

Friday, September 28, 2012

सियानी गोठ


 सियानी गोठ
 
जनकवि स्व.कोदूराम “दलित

27 – पेड़

भाई , अब सब ठउर –मां, अइसन पेड़ लगाव
खाये खातिर फल मिलय, सुस्ताये बर छाँव
सुस्ताये बर छाँव  , मिलय लकड़ी बारय बर
मिल  जावय  लौड़ी  , दुष्टन - ला खेदारे बर
ठण्डी , शुद्ध , सुगंधित हवा मिलय सुखदाई
सबो  ठउर – मां  अइसन  पेड़  लगावव  भाई.

[ पेड़ – भाई , अब सभी स्थानों में ऐसे पेड़ लगायें जिनसे खाने के लिए फल तथा विश्राम करने के लिये छाँव मिले . जलाने के लिए लकड़ी  तथा दुश्मनों को भगाने के लिए लाठी भी मिल जाये .ठण्डी, शुद्ध, सुगंधित और सुखदायी हवा  मिले. ]