सियानी गोठ
जनकवि स्व.कोदूराम “दलित”
27 – पेड़
भाई , अब सब ठउर
–मां, अइसन पेड़
लगाव
खाये खातिर फल मिलय, सुस्ताये बर छाँव
सुस्ताये बर छाँव , मिलय लकड़ी बारय बर
मिल जावय लौड़ी , दुष्टन - ला खेदारे बर
ठण्डी , शुद्ध , सुगंधित हवा मिलय सुखदाई
सबो ठउर – मां अइसन पेड़
लगावव भाई.
[ पेड़ – भाई , अब सभी स्थानों में ऐसे
पेड़ लगायें जिनसे खाने के लिए फल तथा विश्राम करने के लिये छाँव मिले . जलाने के लिए लकड़ी तथा दुश्मनों को भगाने के लिए लाठी भी मिल जाये .ठण्डी, शुद्ध, सुगंधित और सुखदायी हवा
मिले. ]
आज कल तो जंगली पौधों को रोप कर ही इति श्री कर ली जाती है-
ReplyDeleteवृक्षारोपण कार्यक्रम की ||
सादर नमन ||
सटीक बात कहती रचना
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
ReplyDeleteऐसी सु भावना एक जन कवि में ही
देखी जा सकती है
वास्तव में आदरणीय कोदू राम दलित जी जन जन के कवि थे
बहुत बढ़िया कहन है
अरुण जी शुक्रिया
पेड़ लगायें, विश्व बचायें..
ReplyDeletetu t bahutayee badhiya likh lu ,manva khush hoyee gayal,tani kabahu hamarau blogva pdhi lihu,
ReplyDeleteसटीक पंक्तियाँ
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