Tuesday, May 1, 2012

सियानी गोठ

 सियानी गोठ 

जनकवि कोदूराम “दलित”

12.    फुटहा डोंगा

डोंगा हर  फ़ुटहा रहे  ,  अउ टुटहा पतवार
वो डोंगा मा बइठ के, करो न नदिया पार
करो न नदिया पार , उहाँ पानी भर जाही
बुड़ जाही वोहर तब तुम्हला कोन बचाही ?
वो मां बइठो, रहय जउन साबुत अउ सुंदर
जी – लेवा  जमदूत आय फुटहा डोंगा हर.

[ फूटी हुई नाव :  फूटी हुई नाव  और टूटी हुई पतवार रहे तो उस नाव पर बैठ कर नदिया पार न करें.वहाँ पानी भर जायेगा, वह डूब जायेगी तब तुन्हें कौन बचायेगा ? उस नाव पर बैठें जो साबूत और सुंदर हो. फूटी हुई नाव तो जानलेवा यमदूत है.]
 भावार्थ : दुष्कर्मों से जीवन रूपी नाव में छेद हो जाते हैं, मन की कमजोर पतवार भी टूट जाती है. ऐसी नाव का डूबना तय है.ऐसे में भव-सागर पार कैसे होगा ? अत: सदैव सत्कर्म करें , मन को दृढ़ रखें तभी मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है.]

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