Saturday, May 5, 2012

सियानी गोठ


 सियानी गोठ 
 
जनकवि कोदूराम “दलित”

15.फूट

होही  सब  झन के  भला , रहो सबो  झिन एक
झगड़ा – झाँसा  छोड़ के , बनो सबो झिन नेक
बनो सबो  झिन  नेक , देस ला  अपन  बनाओ
आजादी   के   गंगा   ला,   घर  -  घर  पहुँचाओ
फूट- पिशाचिन भला नइ करय कोन्हों मन के
मिल-जुल के  सब रहो, भला होही सब झन के.

[ सभी लोगों का भला होगा,  सभी एक होकर रहें.  झगड़ा , फरेब छोड़कर सभी नेक बनें.  अपने देश की उन्नति करें.  आजादी की गंगा को घर-घर तक पहुँचायें.  फूट रूपी   पिशाचिनी किसी का भी भला नहीं करती है. सभी मिल जुलकर रहें  ,इसी से सभी का भला होगा.]

5 comments:

  1. बहुत खूब ... सही सीख ...

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  2. सुंदर सीख .... आज कल इसका उल्टा ही देखने को मिलता है

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  3. संघे शक्ति कलियुगे..

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  4. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    लिंक आपका है यहीं, मगर आपको खोजना पड़ेगा!
    इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
    सूचनार्थ!

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