सियानी गोठ
जनकवि कोदूराम “दलित”
12.
फुटहा डोंगा
डोंगा हर फ़ुटहा रहे , अउ टुटहा पतवार
वो डोंगा मा बइठ के, करो न नदिया पार
करो न नदिया पार , उहाँ
पानी भर जाही
बुड़ जाही वोहर तब तुम्हला कोन बचाही ?
वो मां बइठो, रहय जउन
साबुत अउ सुंदर
जी – लेवा जमदूत आय फुटहा डोंगा हर.
[ फूटी हुई नाव :
फूटी हुई नाव और टूटी हुई पतवार
रहे तो उस नाव पर बैठ कर नदिया पार न करें.वहाँ पानी भर जायेगा, वह डूब जायेगी तब
तुन्हें कौन बचायेगा ? उस नाव पर बैठें जो साबूत और सुंदर हो. फूटी हुई नाव तो
जानलेवा यमदूत है.]
भावार्थ :
दुष्कर्मों से जीवन रूपी नाव में छेद हो जाते हैं, मन की कमजोर पतवार भी
टूट जाती है. ऐसी नाव का डूबना तय है.ऐसे में भव-सागर पार कैसे होगा ? अत: सदैव सत्कर्म करें
, मन को दृढ़ रखें तभी मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है.]
अत्यन्त उपयोगी सलाह..
ReplyDeleteगहन बात ...
ReplyDelete