सियानी गोठ
जनकवि कोदूराम “दलित”
13.
हरिही गाय
दुरजन के सँग मां सुजन ,अइसे बिगड़त जायँ
जइसे हरिही गाय सँग
, बिगड़े कपिला गाय
बिगड़े कपिला गाय , खाय सब
के चिज-बस ला
जउने पायँ , ठठायँ अउर टोरयँ नस-नस
ला
सुग्घर मनखे बनो , करो संगत सज्जन के
रहो कभू झन तुम मन संगत –मां दुरजन के.
[ बिगड़ैल गाय : दुर्जन की संगत में सज्जन भी ऐसे बिगड़ता जाता है जैसे कि बिगड़ैल गाय की संगत में सीधी गाय बिगड़ जाती है. सबके किसी भी सामान को खा लेती है
.उसे जो भी पाता है, बहुत मारता है जिससे उसकी नस-नस टूट जाती हैं. अत: अच्छे मनुष्य
बनो, सज्जन की संगत करो. कभी भी दुर्जन की संगत में मत रहो.]
बढ़िया |
ReplyDeleteआभार भाई जी ||
संग बहुत महत्वपूर्ण है।
ReplyDeleteBahut Sundar...
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