सियानी गोठ
जनकवि स्व. कोदूराम “दलित”
23. अणु
अणु ला नान्हें समझ मत, अणु ला तुच्छ न जान
अणु मा शक्ति अघात हे , अणु मन आयँ महान
अणु मन आयँ महान,बनिस
अणु-अणु मां भुइयाँ
अणु मन आयँ विनाशक अउ निरमाण करइया
अणु के असल मरम - ला अणु रखइया
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करो सृजन अणु मां , समझो मत अणु ला नान्हें.
सटीक ..... अणु को निर्माण के कार्य में ही प्रयोग करना चाहिए ।
ReplyDeleteअणु के अन्दर न जानी कितनी ऊर्जा छिपी है।
ReplyDeleteउस ज़माने की रचना है जब हम अणु के बारे में सुना करते थे
ReplyDeleteआदरणीय स्व.कोदूराम दलित जी ने अणु की जो काव्यात्म तरीके से विवेचना की है वह आज की परिस्तियों में भी सटीक है|
आज इस बात को दुनिया के सभी देशों को समझाना चाहिए
बहुत ही सार्थक रचना