Thursday, September 27, 2012

सियानी गोठ


 सियानी गोठ
 
जनकवि स्व.कोदूराम “दलित

26 - राख

नष्ट करो झन राख –ला, राख काम के आय
परय खेत-मां राख हर , गजब अन्न उपजाय
गजब  अन्न  उपजाय ,  राख मां  फूँको-झारो
राखे-मां  कपड़ा – बरतन  उज्जर  कर  डारो
राख  चुपरथे  तन –मां, साधु,संत, जोगी मन
राख  दवाई  आय  , राख –ला नष्ट करो झन.


[ राख – राख को नष्ट ना करें ,यह बहुत ही उपयोगी  है. राख जब खेत में डाली जाती है तो अन्न का उत्पादन बढ़ाती है.राख से ही झाड़-फूँक की जाती है. राख से ही कपड़ेऔर बर्तन उजले होते हैं. साधु,संत और योगी अपने तन पर राख चुपड़ते(लगाते/मलते) हैं.राख दवा भी है, राख को नष्ट ना करें.]

7 comments:

  1. राख राख ले ठीक से, रखियाना हर पात्र |
    सर्वाधिक शुद्धता लिए, मिलती राखी मात्र ||

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  2. सच में राख बहुत उपयोगी है ।

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  3. बिल्‍कुल सही कहा आपने ... बेहद सार्थक व सशक्‍त प्रस्‍तुति

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  4. सच कहा राख से पवित्र किसी अन्य को नहीं माना गया है
    राख के बहुत फायदे है पहले दांत साफ करने से लेकर बर्तन मांजने तक हर घर में राख का ही उपयोग होता था
    आज विज्ञापनों ने हमारे विचारों हमारे सोच पर अतिक्रमण कर अपना अधिपत्य जमा लिया है झूठे विज्ञापनों ने बहका कर नुक्सान ही पहुंचाया है
    हमें समझ जाना चाहिए.....
    बहुत बढ़िया दोहों के लिए आभार

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  5. पुराने जमाने में जब आज की आधुनिक सुविधा नही थी तब राख का उपयोग खाद,
    बर्तन धोने दांत चमकाने कपड़ा साफ़ करने हाथ धोने,इत्यादि के लिये किया जाता था,किन्तु आज हम इसे भूलकर आधुनिकता का चोला पहन लिये है,,,,

    सार्थक प्रस्तुति,,,

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  6. सुंदर प्रस्तुति |
    इस समूहिक ब्लॉग में पधारें और हमसे जुड़ें |
    काव्य का संसार

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  7. This comment has been removed by the author.

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