रिश्ते बनाना बड़ा ही सरल,
बहुत ही कठिन है निभाना सखा !
अगर जिंदगी में कोई शख्स आये
तो ये बात उसको बताना सखा !
हँसी में ,ख़ुशी में सभी साथ देंगे
मगर दुःख पड़ा तो,नहीं साथ देंगे
दुःख में तुम्हारे जो संग-संग चले
उसे मीत अपना बनाना सखा !
है मतलब की दुनियाँ,है मतलब की यारी
तन और धन के सभी हैं शिकारी
जो थाली से अपनी,तुम्हें दे निवाला
न उसके नमक को भुलाना सखा !
-अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर ,दुर्ग
छत्तीसगढ़
बहुत ही कठिन है निभाना सखा !
अगर जिंदगी में कोई शख्स आये
तो ये बात उसको बताना सखा !
हँसी में ,ख़ुशी में सभी साथ देंगे
मगर दुःख पड़ा तो,नहीं साथ देंगे
दुःख में तुम्हारे जो संग-संग चले
उसे मीत अपना बनाना सखा !
है मतलब की दुनियाँ,है मतलब की यारी
तन और धन के सभी हैं शिकारी
जो थाली से अपनी,तुम्हें दे निवाला
न उसके नमक को भुलाना सखा !
-अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर ,दुर्ग
छत्तीसगढ़
रिश्ते बनाना बड़ा ही सरल,
ReplyDeleteबहुत ही कठिन है निभाना सखा !
अगर जिंदगी में कोई शख्स आये
तो ये बात उसको बताना सखा !
बहुत अच्छी कामना - अच्छी प्रस्तुति के लिए बधाई तथा शुभकामनाएं !
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ReplyDeleteअरुण जी ,
बहुत सही लिखा है आपने। लोग दो कदम साथ चलकर अक्सर मुंह फेर लेते हैं । कोई ताउम्र साथ चले तो कोई बात बने ।
कठिन है राहगुज़र...
थोड़ी दूर साथ चलो ।
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बहुत ही अच्छी कविता लिखी है आपने, निभाना सच में कठिन है।
ReplyDeleteजो थाली से अपनी,तुम्हें दे निवाला
ReplyDeleteन उसके नमक को भुलाना सखा !
सटीक बातें कही है अरुण जी ने एहसान किसी का भी हमें याद रखना चाहिए|रिश्तों कि बात कही गई बिलकुल सही है खून का रिश्ता हि रिश्ता नहीं होता जिंदगी में कई जगह ऐसा होता है कि अनजान रिश्ते बन जाते है
बधाई