Sunday, May 1, 2011

न उसके नमक को भुलाना सखा !

रिश्ते बनाना बड़ा ही सरल,
बहुत ही कठिन है निभाना सखा !
अगर जिंदगी में कोई शख्स आये
तो ये बात उसको बताना सखा !

हँसी में ,ख़ुशी में सभी साथ देंगे
मगर दुःख पड़ा तो,नहीं साथ देंगे
दुःख में तुम्हारे जो संग-संग चले
उसे मीत अपना बनाना सखा !

है मतलब की दुनियाँ
,है मतलब की यारी
तन और धन के सभी हैं शिकारी
जो थाली से अपनी,तुम्हें दे निवाला
न उसके नमक को भुलाना सखा !

-अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर ,दुर्ग
छत्तीसगढ़

4 comments:

  1. रिश्ते बनाना बड़ा ही सरल,
    बहुत ही कठिन है निभाना सखा !
    अगर जिंदगी में कोई शख्स आये
    तो ये बात उसको बताना सखा !

    बहुत अच्छी कामना - अच्छी प्रस्तुति के लिए बधाई तथा शुभकामनाएं !

    ReplyDelete
  2. .

    अरुण जी ,

    बहुत सही लिखा है आपने। लोग दो कदम साथ चलकर अक्सर मुंह फेर लेते हैं । कोई ताउम्र साथ चले तो कोई बात बने ।

    कठिन है राहगुज़र...
    थोड़ी दूर साथ चलो ।

    .

    ReplyDelete
  3. बहुत ही अच्छी कविता लिखी है आपने, निभाना सच में कठिन है।

    ReplyDelete
  4. जो थाली से अपनी,तुम्हें दे निवाला
    न उसके नमक को भुलाना सखा !

    सटीक बातें कही है अरुण जी ने एहसान किसी का भी हमें याद रखना चाहिए|रिश्तों कि बात कही गई बिलकुल सही है खून का रिश्ता हि रिश्ता नहीं होता जिंदगी में कई जगह ऐसा होता है कि अनजान रिश्ते बन जाते है
    बधाई

    ReplyDelete