सियानी गोठ
[चतुर बालक या लड़का – भाई ! तुम चतुर बनो, दिन रात पढ़ो-लिखो. लंद-फंद को छोड़ कर गुरु की बात मानो. अपने चरित्र को सुधार कर अपने मन को दर्पण की भाँति उज्जवल कर डालो. अच्छे बच्चे बन कर सभी की भलाई करो. गुरु गुड़ रह जायेंगे और तुम शक्कर बन जाओगे.]
जनकवि कोदूराम “दलित”
3.चतुरा टूरा
भाई, तुम चतुरा बनो, पढ़ो-लिखो दिन–रात
लंद – फंद ला छोड़ के , मानो गुरु के बात
मानो गुरु के बात, चरित ला अपन सुधारो
दरपन साहीं मन ला, अपन उजर कर डारो
अच्छा लइका बनो , सबो के करो भलाई
गुरु गुड़ रहि जाही, शक्कर तुम बनहू भाई.
[चतुर बालक या लड़का – भाई ! तुम चतुर बनो, दिन रात पढ़ो-लिखो. लंद-फंद को छोड़ कर गुरु की बात मानो. अपने चरित्र को सुधार कर अपने मन को दर्पण की भाँति उज्जवल कर डालो. अच्छे बच्चे बन कर सभी की भलाई करो. गुरु गुड़ रह जायेंगे और तुम शक्कर बन जाओगे.]
अच्छी शिक्षा ।
ReplyDeleteआभार ।
सब अच्छे बने, सरल बने।
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति।
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