सियानी गोठ
जनकवि कोदूराम “दलित”
4. पोथी
सुग्घर पोथी नित पढ़ो, बनो सुशील-सुजान
ये पक्का गुरु आय अऊ, सच्चाआय मितान
सच्चा आय मितान , ज्ञान के आय समुंदर
मधुर - मधुर रस पाहू, लहर - लहर के अंदर
रहो अपन घर मां , या जाओ कोन्हों कोती
पढ़ो सब जगह ध्यान जमा के सुग्घर पोथी.
[ पुस्तक – अच्छी पुस्तकें नित्य पढ़ें , सुशील – सज्जन बनें. ये श्रेष्ठ गुरु हैं और सच्चे मित्र हैं. अच्छी पुस्तकें ज्ञान का समुंदर हैं जिसकी लहर-लहर के अंदर मधुर-मधुर रस प्राप्त करेंगे. अपने घर में रहें या अन्यत्र किसी भी स्थान में जायें , सभी जगह ध्यान लगा कर अच्छी पुस्तकें पढ़ें.]
सुन्दर प्रस्तुति |
ReplyDeleteमस्त कुंडली |
बढिया भाव ||
बहुत सुंदर बात .... अच्छी पुस्तकें हमेशा मार्ग दर्शन करती है
ReplyDeleteसुंदर बात बताती पोस्ट....
ReplyDeleteपुस्तकों से अच्छा कोई मित्र नहीं है।
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