सियानी गोठ 
 
 
जनकवि कोदूराम “दलित”
8.   
धरती
धरती ला हथियाव झन, धरती सबके आय
ये महतारी हर  कभू  , ककरो संग न जाय
ककरो संग  न जाय  ,  सबो ला धरती देवो
करो दान  धरती के ,  
पुण्य कमा तुम लेवो
देवो  ये  ला  भूमि
- हीन  , 
भाई - बहिनी ला
सिरजिस हे भगवान,सबो
खातिर धरती ला.
[धरती  -       भूमि
को मत हथियावो ,भूमि सब की है. यह माँ कभी किसी के संग नहीं जाती. सब को
भूमि दें. भू-दान करके पुण्य कमा लें. भूमिहीन भाई-बहनों को भूमि बाँटे. ईश्वर ने भूमि
का सृजन सबकी खातिर किया है.]
संदेश फरक रचनाएँ पढ़वाने के लिए आभार
ReplyDeleteबढ़िया भाव ।
ReplyDeleteआभार ।
बहुत ही सुन्दर..
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